डाटा लॉगर: भारतीय रेल का डिजिटल निगरानी यंत्र
🔹 डाटा लॉगर क्या है?
डाटा लॉगर एक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर आधारित उपकरण है, जिसे भारतीय रेलवे में ट्रैफिक और सिगनलिंग गतिविधियों की निगरानी के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे अक्सर रेलवे का "ब्लैक बॉक्स" कहा जाता है क्योंकि यह ट्रेन संचालन और सिगनल से जुड़ी हर गतिविधि का सटीक रिकॉर्ड रखता है।
तकनीकी स्वरूप (Technical Structure)
डाटा लॉगर एक कंप्यूटर-आधारित उपकरण है जो निम्नलिखित घटकों से मिलकर बना होता है:
Main Processing Unit (MPU) – सिगनलों और पॉइंट्स से जुड़े डेटा को संसाधित करता है
Field Equipment Processor (EFP) – स्टेशन के सभी फील्ड इक्विपमेंट जैसे पॉइंट, ट्रैक सर्किट, रिले, सिगनल से जुड़ता है
Memory Storage Module – डेटा को घंटा-मिनट-सेकंड और माइक्रोसेकंड स्तर पर रिकॉर्ड करता है
Power Supply Unit – लगातार वोल्टेज सपोर्ट देता है, बैटरी बैकअप सहित
Communication Interface – मंडल कार्यालय या कंट्रोल से डेटा ट्रांसफर के लिए जुड़ा होता है
Printer Output – स्वतः रिपोर्ट निकालने की सुविधा (ऑटो प्रिंटिंग मोड)
🔹 यह कैसे काम करता है?
डाटा लॉगर को SSI (Solid State Interlocking), RRI (Route Relay Interlocking) और पैनल कंप्यूटर से जोड़ा जाता है।
यह हर ऑपरेशन का समय – घंटे, मिनट, सेकंड, और माइक्रोसेकंड तक दर्ज करता है।
स्टेशन का डाटा लॉगर सिस्टम मंडल नियंत्रण कार्यालय से जुड़ा होता है जिससे संचालन की निगरानी संभव हो सके।
जैसे ही कोई सिगनल ऑन/ऑफ होता है, या पॉइंट बदला जाता है — वह गतिविधि तुरंत लॉग हो जाती हैजब ट्रेन किसी ट्रैक सर्किट में प्रवेश करती है या बाहर निकलती है — उसका समय, दिशा और सिगनल स्थिति दर्ज होती है
किसी SPAD (Signal Passed at Danger) या दुर्घटना जैसी घटना पर, वह खुद-ब-खुद प्रिंट आउट निकालता है
संबंधित अधिकारी को SMS / अलर्ट भी जाता है
रिकॉर्ड किए जाने वाले डेटा का प्रकार
2 पॉइंट का स्थिति परिवर्तन पॉइंट लाइन बदलने का सटीक समय
3 रूट रिलीज टाइमिंग ट्रेनों के गुजरने के बाद रूट फ्री कब हुआ
4 कॉलिंग ऑन / शंटिंग सिगनल विशेष अनुमति से गुजरने का डेटा
5 ट्रैक सर्किट ऑक्यूपेंसी कौन-सी गाड़ी किस ट्रैक पर कब थी
6 ट्रेनों की गति मुख्य और लूप लाइन पर अधिकतम गति
7 बैटरी / पावर की स्थिति वोल्टेज डाउन अलर्ट
8 हर ऑपरेशन की टाइम स्टैम्पिंग माइक्रोसेकंड तक टाइमिंग
🔹 दुर्घटना के समय इसकी भूमिका
जब कोई दुर्घटना या अनियमितता होती है, तो डाटा लॉगर से उस घटना का सही कारण पता लगाया जा सकता है।
SPAD (Signal Passed at Danger) जैसी घटनाओं का विश्लेषण इसके डेटा से किया जाता है।
🔹 मुख्य उद्देश्य
- सिगनल और प्वाइंट की स्थिति की वास्तविक जानकारी देना।
- यदि किसी ट्रेन ने ऑन सिगनल पर क्रॉस किया है, तो उसका रिकॉर्ड रखना।
- सिगनल से जुड़े विवादों को सुलझाना।
- दुर्घटनाओं की जांच में उपयोगी साक्ष्य उपलब्ध कराना।
- ट्रैक, ब्लॉक उपकरण, और इंटरलॉकिंग से संबंधित खराबियों का सही कारण पता करना।
- ट्रेन के संचालन, रूट रिलीज और अन्य परिचालन प्रक्रियाओं की निगरानी।
- ट्रेन की गति — मेन लाइन और लूप लाइन दोनों पर — को रिकॉर्ड करना।
- कॉलिंग-ऑन सिगनल पर ट्रेन की मूवमेंट की जानकारी देना।
- बैटरी वोल्टेज और पावर सप्लाई की स्थिति दिखाना।
- इससे स्टेशन और मेंटेनेंस स्टाफ और अधिक सावधानीपूर्वक कार्य करते हैं।
- यह UFSBI (Universal Fail Safe Block Instrument) के सिद्धांतों का समर्थन करता है।
- स्टेशन पर लगा EFP (Field Equipment Processor) पैनल और सभी प्वाइंट्स का पूरा रिकॉर्ड रखता है।
- डाटा लॉगर के कारण किसी गलत ऑपरेशन पर तुरंत प्रिंट अपने आप निकल जाता है और संबंधित अधिकारियों को अलर्ट भी जाता है।
सिगनल विभाग में उपयोग
- विफलता विश्लेषण (Failure Analysis)
- प्रिवेंटिव मेन्टेनेन्स शेड्यूल की योजना
- संदिग्ध घटनाओं पर निगरानी
- मानव त्रुटि को पकड़ना
- सिगनल डिस्प्यूट को सुलझाना
🔹 इतिहास से जुड़ी जानकारी
रेल संरक्षा समीक्षा समिति (RSRC) ने 1990 में यह सुझाव दिया था कि SPAD जैसी घटनाओं की सटीक जानकारी डाटा लॉगर से प्राप्त की जा सकती है। उसी के बाद से रेलवे में इसका उपयोग और भी अधिक जरूरी बन गया। समय के साथ रेलवे ने इसका विस्तार किया और हर बड़े स्टेशन पर डाटा लॉगर अनिवार्य कर दिया गया
डाटा लॉगर एक स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली है. डाटा लॉगर भारतीय रेलवे के संचालन में पारदर्शिता, सुरक्षा और सटीकता लाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण है। यह न सिर्फ दुर्घटनाओं की जांच में सहायक होता है, बल्कि स्टाफ को अनुशासित एवं जिम्मेदार बनाता है। रेलवे की कार्यशैली को पारदर्शी, उत्तरदायी और दुर्घटना-मुक्त बनाने में एक अहम कड़ी भी है। यह तकनीक भविष्य में रेलवे सुरक्षा की रीढ़ साबित होगी।
इंटरव्यू/परीक्षा के उपयोगी प्रश्न
डाटा लॉगर क्या है और रेलवे में इसका उपयोग क्या है?
SPAD की स्थिति में डाटा लॉगर कैसे मदद करता है?
डाटा लॉगर और SSI के बीच क्या संबंध है?
डाटा लॉगर किस स्तर पर टाइमिंग रिकॉर्ड करता है?
डाटा लॉगर द्वारा किन गतिविधियों की निगरानी की जाती है?
डाटा लॉगर की रिपोर्टिंग प्रणाली कैसी होती है?