"हम स्टेशन मास्टर है साहब"
हाँ हम स्टेशन मास्टर हैं;
रात्रि ड्यूटी करके,दिन में सो रहे हैं...
ओ.पी.एस.खो कर,एन.पी.एस.ढो रहे है
रात्रि ड्यूटी करके,हम दिन में सो रहे हैं...
ठंड है ,गरम है और चाहे बरसात के बादल रो रहे है...
रात्रि ड्यूटी में संलग्न,क्या कुछ नहीं हम खो रहे हैं?
घर में क्या सुख है, क्या दुख है इसका
हमें अंदाजा नहीं लेकिन,
प्रशासन के नित नए नियमों से,व्यक्तिगत जीवन खो रहे हैं...
करोना में जब प्रशासनिक अधिकारी घर में सो रहा था...
तब एक यही स्टेशन मास्टर आंखों में आंसू लिए गाड़ियों के संचालन में हिम्मत संजो रहा था...
जब आई ऑक्सीजन गाड़ियों की बारी, स्टेशन मास्टर ने दिखा दी अपनी जिम्मेदारी...
लेकिन बुढ़ापे की लाठी ओ.पी.एस.को सोच-सोच कर रोजाना एन.पी.एस ढोया करते है...
आज युवा स्टेशन मास्टर रात्रि में ड्यूटी करते और दिन में सोया करते हैं।।
विश्वनाथ तिवारी
पेंशनविहीन- स्टेशन मास्टर
लखनऊ मण्डल, उत्तर रेलवे
सह-संयोजक ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन लखनऊ